सलूम्बर के तंवरो का ऐतिहासिक विवरण
- ठा.गुलजी तंवर(गुलाबसिंह)- रावत भीमसिंह कालीन एक पट्टा व दो ताम्र पत्र प्राप्त होते है ,एक पट्टा तँवर गुलजी के नाम का संवत १८५५ आषद सूद तीज(सन् 1798) का है,यह पट्टा रावत भीमसिंह की और से उसके पूर्वज के बलिदान पर मिला। जब सलूम्बर को लूटने के लिए मराठा सरदार होलकर की सेना चढ़ आई थी, तब तंवर खानदान के राजपूतो की टुकड़ी को उन्हें रोकने के लिए भेजा ,जिसमे तंवर राजपूत लड़ते हुए काम आये, इन तंवर ठाकुरो के देवल सलूम्बर तालाब के पास रेट में बने हुए है।
उनके इस शोर्यपूर्ण कार्य का मूल्यांकन रावत ने इस तरह किया की जितनी दुरी तक युद्ध में गोडे दोड़े ,उतने क्षेत्रफल के गाँव उन्हें इनाम के तोर पर जागीर में दिए गए। इस प्रकार रावत भीमसिंह ने अपने इन तंवर सरदार के वंशज गुलजी तंवर को तीन गाँव (रेट, हांड़ी ,डईला ,रेबारियोवाली मउडी की जागीर दी ,इस युद्ध में तंवर ठकुराइन सती हुई थी, जिनका स्थान तंवर पोल(सलूम्बर) के पास है। - ठा.रघुनाथसिंह तंवर- सन् 1800ई. में रावत भवानी सिंह ने दादरा गांव की जांगीर ठा.रघुनाथसिंह को प्रदान की।
- ठा.भीम सिंह तंवर- सन् 1825ई. में रावत पदमसिंह ने केलाई गांव की जांगीर ठा.भीमसिंह को प्रदान की।
- ठा.राय सिंह तंवर- सन् 1868ई. में इन्हे गांवडा, सरवड़ी और वेण की जांगीर मिली, इनके दो पुत्र हुए-
- ठा.दलेलसिंह तंवर-सवंत1939(1882ई.) कार्तिक सूद चौथ के दिन रावत जोधसिंह ने साठपुर की जांगीर ठा.दलेलसिंह को गांवडा, सरवड़ी और वेण के बदले में प्रदान की।
- ठा.तेजसिंह तंवर-संवत1933 (1876ई.) पौष विद 13 के दिन रावत जोधसिंह ने बोरज तंवरान की जांगीर ठा.तेजसिंह को प्रदान की।
संदर्भ
- विमला भंडारी, सलूम्बर का इतिहास,P-191,321,366
- ठिकाना कालीन जागीरी के पट्टे
- ठा.अर्जुनसिहजी तंवर से प्राप्त पुराने दस्तावेज़